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फ़्रेडरिक नीत्शे के उद्धरण

वह जो गगनचुंबी पर्वतों पर चढ़ता है, उसे प्रत्येक शोकांत पर हँसी आती है; चाहे वह कोई शोकांत नाटक हो, और चाहे जीवन की कोई असाधारण घटना।

अनुवाद : पंकज प्रखर