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जयशंकर प्रसाद के उद्धरण

तुम्हारे भी जीवन में वह आलोक का महोत्सव आया होगा, जिसमें हृदय को पहचानने का प्रयत्न करता है, उदार बनता है और सर्वस्व दान करने का उत्साह रखता है।