विनोद कुमार शुक्ल के उद्धरण

सुख भविष्य के बहुत नज़दीक नहीं होता। दुःख का वर्तमान इतना लंबा, नुकीला होता है कि भविष्य में उसकी नोक घुसी होती। ऐसा कम होता है कि दु:खी हुए और चार मिनट बाद सुखी हो गए। सुख थोड़ा लचीला होता।
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