विनोद कुमार शुक्ल के उद्धरण

स्पर्श का सारा गुण अनुमान में भी होना चाहिए। जिसका अनुमान लगा रहे हैं उसे सचमुच स्पर्श कर रहे हैं। सच का अनुमान लगा रहे हैं और सच को स्पर्श कर रहे हैं। झूठ का अनुमान लगाते हैं और झूठ का स्पर्श करते हैं।
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