कृष्ण कुमार के उद्धरण
शायद हरेक कवि या लेखक की कोई एक पुस्तक उसकी अधिकारिक कृति होती है। उसे ‘प्रतिनिधि कृति’ कहना ठीक नहीं होगा क्योंकि यह ज़रूरी नहीं कि आधिकारिक कृति की विशेषताएँ एक न एक हद तक अथवा अलग-अलग रूपों में अन्य कृतियों में दिखाई दें।
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