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भवभूति के उद्धरण

शास्त्र में निष्ठा, स्वाभाविक ज्ञान, प्रगल्भता, गुणों के अभ्यास से संपन्न वाणी, कार्य के उचित समय का अनुसरण और प्रतिभा की नवीनता—ये गुण कार्यों में मनोरथों को पूर्ण करने वाले होते हैं।

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