Font by Mehr Nastaliq Web

गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

शमशेर पर लगाया गया यह दोषारोप कि वे उलझे हुए हैं और उनकी बात समझ में नहीं आती—उस आदत को सूचित करते हैं—जिसे हम सामान्यीकरण की आदत कह सकते हैं।