Font by Mehr Nastaliq Web

गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

शमशेर के शिल्प के संबंध में यह बात भी मुझे कहनी है कि प्रसंगबद्ध भावना की प्रसंग-विशिष्टता सुरक्षित रखकर, प्रसंग को पार्श्वभूमि में हटाते हुए उसको बिल्कुल ही उड़ा देने से, काव्य के रसास्वादन में कुछ तो बाधा होती ही है।