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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

सौंदर्यानुभूति, मनुष्य की अपने से परे जाने की, व्यक्ति-सत्ता का परिहार कर लेने की, आत्मबद्ध दशा से मुक्त होने की, मूल प्रवृत्ति से संबद्ध है।