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लक्ष्मीनारायण मिश्र के उद्धरण

संसार के सारे कर्म इसके पार करने के सेतु हैं। देखने में एक कर्म दूसरे से भिन्न है पर उन सब के मिलने से ही वह सेतु बनता है जो संसार के पार लगाता है।