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श्यामसुंदर दास के उद्धरण

संगीत और काव्य का सम्मिलित स्वरूप कलाओं के लिए हितकर अवश्य हुआ है, किंतु उसका सीमा से अधिक आग्रह करने से उससे हानि भी हुई है।