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नलिनीबाला देवी के उद्धरण

रात भर जागती हुई दो आँखों की व्याकुलता अंकित कर केवल हृदय की वार्ताओं को ही प्रकट करते हो, न कोई ध्वनि है, न कोई कथा ही।