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राजेंद्र माथुर के उद्धरण

राणा प्रताप ने कहा था कि ग़ुलामी के सदाचार से आज़ादी का भ्रष्टाचार अच्छा है। मजबूरी के महात्मापन से स्वच्छंद गुंडापन लाख गुना बेहतर है। एक नदी सूखी है और एक बाढ़ से उफ़नती हुई। सूखी नदी में पानी आना मुश्किल है, लेकिन उफ़नती नदी कभी तो किनारों का अनुशासन पहचानेगी।