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वेदव्यास के उद्धरण

राजन्! न तो कोई कर्म करने से नष्ट हुई वस्तु मिल सकती है, न चिंता से ही। कोई ऐसा दाता भी नहीं है जो मनुष्य को उसकी विनष्ट वस्तु दे दे। विधाता के विधानानुसार मनुष्य बारी-बारी से समय पर सब कुछ पा लेता है।