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वेदव्यास के उद्धरण

राजन्! जैसे क्रीड़ा के लिए पानी में तैरता हुआ कोई प्राणी कभी डूबता और कभी ऊपर आ जाता है, उसी प्रकार इस अगाध संसार-समुद्र में जीवों का डूबना और ऊपर आना (मरना और जन्म लेना) लगा रहता है। मंदबुद्धि मनुष्य ही यहाँ कर्म-भोग से बँधते और कष्ट पाते हैं।