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वेदव्यास के उद्धरण

राजन्! जिसके पास धन की कमी है, गौएँ और सेवक कम हैं तथा जिसके यहाँ अतिथियों का आना-जाना भी बहुत कम हो गया है, वास्तव में वही कृश (दुर्बल) कहलाने योग्य है और जो केवल शरीर से कृश है, वह कृश नहीं है।

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