तिरुवल्लुवर के उद्धरण

पुष्प से भी मृदुल होता है प्रेम। बिरले ही उसकी वास्तविकता को समझकर उससे लाभांवित होते हैं।
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संबंधित विषय : प्रेम
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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