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तिरुवल्लुवर के उद्धरण

प्रियतम न आवे तो निद्रा नहीं आती, और अगर आ भी जाए तब भी नहीं आती। इनके मध्य में मेरे ये नेत्र असह्य दुःख से पीड़ित हैं।