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गुरु नानक के उद्धरण

परमात्मा प्रसन्न तब होता, जब उस सदा क़ायम रहने वाले प्रभु के नाम में जुड़ें, क्योंकि जीवों के अच्छे-बुरे होने की परख मन की भावना के अनुसार ही होती है।