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कुँवर नारायण के उद्धरण

साहित्य की प्रमुख चिंता इसमें है कि वह उन स्थायी सचाइयों पर भी हमारी पकड़ ढीली न होने दे जिन पर एक उदार और मानवीय संस्कृति की नींव पड़नी चाहिए।