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तिरुवल्लुवर के उद्धरण

निष्कलंक का जीवन ही जीवन है। यशहीन का जीवन मरण-तुल्य है।

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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