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चेस्लाव मीलोष के उद्धरण

न तो मैं भगवान बनना चाहता हूँ और न ही नायक। बस एक पेड़ में बदल जाऊँ, सदियों तक बढ़ता रहूँ और किसी को चोट न पहुँचाऊँ।