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लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई के उद्धरण

मुझे लगता है कि ज़िन्दगी का आख़िरी पड़ाव मृत्यु नहीं, बल्कि मृत्यु का डर है।

अनुवाद : राकेश कुमार मिश्र