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बंकिम चंद्र चटर्जी के उद्धरण

मेरे प्रेम का नाम है जीवन-विसर्जन की आकांक्षा। शि‍रा-शिरा में, रक्त कणों में, हड्डी-हड्डी में मेरा यह अनुराग दिन-रात विचरण करता रहा है।