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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

मनुष्य सृष्टि की अंतिम संतान होने के कारण सबसे पुराना है। सृष्टि के युगयुगांतर-व्यापी इतिहास की धारा आज मनुष्य में आकर मिल गई है।

अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी