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श्यामसुंदर दास के उद्धरण

मनुष्य की ज्ञान-शक्ति उसकी भावनाओं को चैतन्य बनाती, और उसकी इच्छा-शक्ति उन भावनाओं को शृंखलित तथा संयमित रखती है।