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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

मनुष्य का इतिहास साक्षी है कि विराग मनुष्य की आत्मा में बहुत गहरा बसा हुआ है।

अनुवाद : सत्यकाम विद्यालंकार