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बिमल मित्र के उद्धरण

मनुष्य का आज का धर्म हो गया है—आगे बढ़ते चलो—सबको पीछे छोड़ते चलो—धक्का मारकर, चोट पहुँचाकर—किसी भी तरह बढ़ते चले जाओ।