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बिमल मित्र के उद्धरण

मनुष्य जितनी देर अहं से जुड़ा हुआ है, उतनी देर वह दोषयुक्त है, लेकिन उसका वह अहं-बोध घटते ही वह देवत्व की ओर अग्रसर होता है।