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पॉलो फ़्रेरा के उद्धरण

मनुष्य जब मनुष्यता और उसके ऐतिहासिक रूपों की अंतर्वस्तु को अलग करने की ग़लती नहीं करता, तो चिंतन और कर्म उसके लिए अवश्य करणीय हो जाते हैं।

अनुवाद : रमेश उपाध्याय