Font by Mehr Nastaliq Web

रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

मानव जिस तरह की कठिनाइयों से जूझता है, उसका इतिहास भी इसी के अनुरूप बनता है।

अनुवाद : साैमित्र मोहन