मैं अक्सर ख़ुद से पूछता हूँ कि क्या मैं दुबारा हिरासत में लिए जाने से डरता हूँ। मुझे आज़ादी से प्रेम है जैसा किसी और को है, शायद सबसे अधिक। लेकिन यह भी एक त्रासदी है कि आप अपनी ज़िंदगी एक डर में बिताएँ। यह डर असल में आज़ादी के ख़त्म होने से भी बुरा है।