Font by Mehr Nastaliq Web

भामह के उद्धरण

माधुर्य और प्रसाद गुण चाहने वाले सुधी कवि, अधिक समस्त (समासयुक्त) पदों का प्रयोग नहीं करते। कुछ कवि जिन्हें ओज की अभिव्यक्ति ही वांछित है, अत्यधिक समस्त पदों का प्रयोग करते हैं। उदाहरणार्थ ‘मंदारकुसुमरेणुपिञ्जरितालका’ अर्थात मंदार वृक्ष के पराग से पीली अलकों वाली नायिका।

अनुवाद : रामानंद शर्मा