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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

कोर्णाक, भुनेश्वर और खजुराहो आदि की नारी-मूर्तियों का उभार पत्थर से उतरकर यदि साँस में आ जाए तो वह आदमी को पागल बना देने के लिए काफ़ी है।