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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

कोई भी भावना न अपने-आप में प्रतिक्रियावादी होती है, न प्रगतिशील। वह वास्तविक जीवन-संबंधनों से युक्त होकर ही उचित या अनुचित, संगत या असंगत सिद्ध हो सकती है।