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राधावल्लभ त्रिपाठी के उद्धरण

कविता में व्यंजना के असीम सामर्थ्य तथा उसके प्रसार की गहराई को, अनंत संभावनाओं के साथ वाल्मीकि का काव्य प्रकट करता है।