Font by Mehr Nastaliq Web

कुँवर नारायण के उद्धरण

कविता में ‘मैं’ की व्याख्या केवल आत्मकेंद्रण या व्यक्तिवाद के अर्थ में करना उसके बृहतर आशयों और संभावनाओं दोनों को संकुचित करना है।