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राधावल्लभ त्रिपाठी के उद्धरण

कालिदास ने वाल्मीकि के काव्य का गहन अनुशीलन ही नहीं किया, उन्होंने विनम्र शिष्य के भांति अपने गुरु से बहुत कुछ ग्रहण भी किया।