राधावल्लभ त्रिपाठी के उद्धरण
कालिदास की शकुंतला अपनी सुकुमारता और माधुर्य में वाल्मीकि की सीता से कथमपि न्यून नहीं हैं, पर नारीत्व की गरिमा, व्यथा और करुणा में सीता बड़ी हैं।
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