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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

जो जितना ही सफल और प्रतिष्ठित है, वह मेरे लिए उतनी ही बड़ी अपौरुषेय हस्ती बन जाता है जिसके मंदिर का गर्भ-गृह तो दूर की बात है, उसकी चहारदीवारी के दर्शन से भी मुझे विरक्ति होती है।