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आचार्य रामचंद्र शुक्ल के उद्धरण

जो भक्ति मार्ग श्रद्धा के अवयव को छोड़कर केवल प्रेम को ही लेकर चलेगा, धर्म से उसका लगाव न रह जाएगा। वह एक प्रकार से अधूरा रहेगा।