आचार्य रामचंद्र शुक्ल के उद्धरण

जिसने जिसका अनुभव नहीं किया, वह उसके विषय में नहीं जानता। स्वतंत्र व्यक्ति परतंत्र शरीरधारी की व्यथा नहीं जानता।
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