जिसने पर ब्रह्म का साक्षात्कार कर लिया, उसके लिए सारा जगत नंदनवन है, सब वृक्ष कल्पवृक्ष हैं, सब जल गंगाजल है, उसकी सारी क्रियाएँ पवित्र हैं, उसकी वाणी चाहे प्राकृत हो या संस्कृत-वेद का सार है, उसके लिए सारी पृथ्वी काशी है और उसकी सारी चेष्टाएँ परमात्मामयी है।