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आदि शंकराचार्य के उद्धरण

जिस प्रकार दीपक को प्रकाशित करने के लिए किसी अन्य दीपक की अपेक्षा नहीं होती, उसी प्रकार बोध आत्म-स्वरूप होने के कारण उसे किसी अन्य बोध की अपेक्षा नहीं होती।