जिनका मन श्रीकृष्ण के प्रेम से रहित है उनके क्रिया-नैपुण्य को धिक्कार है, उदारता (दानशीलता) को धिक्कार है, अधिक पढ़ी हुई विद्या को धिक्कार है, आत्मज्ञता को धिक्कार है, शील को धिक्कार है, यज्ञ आदि की रचना को धिक्कार है, पुरुषार्थ को तथा बुद्धि को धिक्कार है; ध्यान, आसन, धारणा को धिक्कार है, मंत्र-तंत्र की जानकारी को धिक्कार है, जन्म को तथा जीवन को धिक्कार है।