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गुरु नानक के उद्धरण

जप, तप, संयम जब शरीर रूपी भूमि के रक्षक हो जाते हैं, तो हृदय में कमल खिलता है और उसमें से ब्रह्मानंद रूपी शहद टपक पड़ता है।