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गुरु नानक के उद्धरण

जब ज़िंदगी का उद्देश्य झूठ, ठगी आदि हो, तब सहज ही तृष्णा रूपी अग्नि उनकी सवारी होती है। झूठ-ठगी में लिप्त लोगों के अंदर तृष्णा की आग भड़कती रहती है।