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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

जगत में ईश्वर से हमें अपना कोई विशेष संबंध बना लेना होगा। कोई एक विशेष सुर बजाते रहना होगा।

अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी