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हजारीप्रसाद द्विवेदी के उद्धरण

इतिहास-विधाता का स्पष्ट इंगित इसी ओर है कि मनुष्य में जो 'मनुष्यता' है, जो उसे पशु से अलग कर देती है, वही आराध्य है, क्या साहित्य और क्या राजनीति, सब का एकमात्र लक्ष्य इसी मनुष्यता की सर्वांगीण उन्नति है।

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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