जे. कृष्णमूर्ति के उद्धरण

हिंसा और घृणा की चारदीवारी में ही क़ैद है आपकी नैतिकता और आपके सद्गुण। जब तक आप हिंसा और घृणा को पूरी तरह नकारते नहीं तब तक सही अर्थों में सद्गुणी नहीं हो सकते है।
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